Sunday, August 1, 2010

फ्रेंडशिप डे एंड फ्रेंडशिप

कल सुबह टी वी ऑन किया तो सबसे पहली खबर जो चल रही थी वो दिल्ली के रईसजादों के बिगडैल नवयुवकों और युवतियों द्वारा शराबी हालत में अपनी वोक्स वैगन कार सड़क किनारे खड़े एक डम्पर से टकराने के बाद पुलिस कर्मी और मिडिया के लोगों के साथ बदसलूकी करने के बारे में थी। अधनंगी लड़कियों को उनके साथियों के साथ जिस हालत में दिखाया जा रहा था उस से किसी भी इज़तदार आदमी की नज़रें झुक सकती थी। लड़के जहां देख लेने की धमकी देते हुए गन्दी गालियाँ बक रहे थे , वहीँ एक लड़की प्रेस फोटोग्राफर को दो कौड़ी की औकात वाला कह रही थी। (काश वो अपनी औकात भी बता देती और यदि उनके घरवालों को ज़रा सी भी शर्म हया हो तो वो भी अपने गिरेबान में झाँक कर देखने का प्रयास करें) । कुछ देर बाद एक और महँगी गाडी आती है और वो लोग उसमें बैठकर वहां से खिसक जाते हैं । पुलिस भी मुंह ताकती रह जाती है। पुलिस करे भी तो क्या करे? अगर उन्हें पकड़ भी ले तो ऊंची रसूख वाले इन लड़के और लड़कियों के माँ बाप अपने नौनिहालों को तो छुडा ही लेंगे पर उन्हें पकड़ने वाले पुलिस कर्मी की शामत आ सकती है.
दूसरी खबर अखबार में पढ़ी कि शिमला के मशहूर रिज मैदान पर चंडीगढ़ से घूमने आये कुछ लड़के और लड़कियों ने शराब के नशे में धुत होकर खूब हंगामा किया । राहगीरों के साथ बदसलूकी की। इसके चलते एक लड़की को हवालात की हवा भी खानी पड़ी जबकि उसके साथी मौके से भागनिकले
तीसरी खबर आज सुबह देखी जिसमें पुणे के एक कॉलेज के ऍम बी ऐ के चार सौ छात्रों ने एक फार्म हॉउस में पार्टी का प्रोग्राम बनाया जहां सभी लड़कों और लड़कियों ने जम कर शराब पी और रात भर होस्टल से बाहर रात गुज़री।
ये सब फ्रेंडशिप डे के नाम पर हो रहा था। क्या यही फ्रेंडशिप के मायने हैं?

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